तोंद पर वार
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन" विख्यात"
मंकी लाल ने देखा, डंकी की तोंद बड़ी भारी,
पूरा चोरों का माल उसी में, छिपा था बारी-बारी।
उसने किया विचार, "अब सबक सिखाना है इसको,
इसकी तोंद में ही तो, छिपा है सारा खिसको।"
तेज़ नाखून निकाले उसने, जो थे पैने और धारदार,
डंकी की तोंद पर किया, सीधा एक ज़ोरदार वार।
"आह!" निकली डंकी के मुँह से, दर्द से वो बिलबिलाया,
तोंद में छिद्र होते ही, माल बाहर आया।
चोरों की आँखें चमकीं, देखकर अपना ही माल,
"ये क्या!" सब चिल्लाए, "मदारी निकला बेहाल!"
एक-एक करके बाहर, माल गिरने लगा था,
जहाँ से चोरी हुई थी, वहीं से सब निकलने लगा था।
मंकी लाल ने ताली पीटी, "ले! देख ले सब सच्चाई,
ये मदारी चोर है, जिसने कर ली थी चढ़ाई।"
डंकी लाल का चेहरा पीला, जैसे कोई मुर्दा हो,
उसकी तोंद में छेद हुआ, जैसे कोई पर्दा हो।
अब भागा वो इधर-उधर, अपनी तोंद को पकड़े,
मंकी लाल ने उसे सिखाया, कैसे सबक वो कड़े।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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