महोदय,
जैसा कि आपसे वायदा किया था कि यह स्वीमिंग पूल हमारे सैक्टर के वृद्ध जनों के लिए किस प्रकार उपयोगी है, इस विषय में हम विस्तार से बताना चाहेंगे।
हमारे सैक्टर के वृद्ध व्यक्ति भला इस दौड़ में पीछे क्यों रहते, उनके लिए तो यह एक स्वर्गीय उत्सव से कम नहीं है। कई वृद्ध जन जो रोजाना घूमने के फोबिया के शिकार हैं, वे इस अवसर का भरपूर आनंद उठाते हैं। जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता उसी तरह से कई वृद्ध जनों को खाट (चारपाई) पर आराम हजम नहीं होता। उनके लिए तो यह किसी आशिर्वाद से कम नहीं होता।
जब कभी कोई वृद्ध व्यक्ति चिकनी गीली सड़क पर फिसल कर गिर जाता है तो उसे मजबूरी में परिजनों द्वारा अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ता है, भले ही उसके परिजनों को अनेक समस्याओं और असुविधाओं का सामना क्यों न करना पड़े। लेकिन अस्पताल में उन्हें परिजनों की विशेष सेवा के साथ-साथ एसी की ठण्डी हवा में अस्पताल के नरम-नरम गददों पर आराम करने और उनका भरपूर आनंद लेने का अवसर तो मिल ही जाता है। कभी कभार जब किसी जवान नर्स के कोमल हाथों का स्पर्श मिल जाता है तो वे ऐसा अनुभव करते हैं जैसे स्वर्ग में 72 हूरों में से किसी ने अपने कोमल हाथों से छू लिया हो और इन्द्रदेव की तरह अपनी अफसराओं के साथ सुख भोग रहे हैं। वे इस भावना को क्यों न महसूस करें ।
ऐसी स्थिति में वे स्वंय को किसी वी आई पी से कम नहीं समझते, क्योंकि ऐसे में उनके आसपास परिजनों, दोस्तों, रिश्तेदारों और नर्सों का मेला सा लगा रहता है और मिलने वालों का तांता लगा रहता है। इस स्थिति में वे लोग भी अपना चेहरा दिखा कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए उसकी सहानुभूति पाने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं, जो भूल कर भी उनका कभी हालचाल नहीं पूछते हैं और परिजनों द्वारा वे सब चीजें और सेवाएं तुरंत उपलब्ध कराई जाती हैं जिन को पाने के लिए सामान्य दिनों में में तरस जाते थे और बार-बार कहने पर भी उपलब्ध नहीं कराई जाती थी। ऐसा परम सुख इस उम्र में अस्पताल के अलावा और कहां मिल सकता है।
महोदय हमारे पास अभी कहने के लिए बहुत कुछ बाकी है , लेकिन समय के अभाव में में अपने कलम को यहीं विराम देते हैं ।
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