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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

एक निमंत्रण पत्र- सम्पादक जी के नाम पार्ट-6

महोदय,
जैसा कि आपसे वायदा किया था कि यह स्वीमिंग पूल हमारे सैक्टर के वृद्ध जनों के लिए किस प्रकार उपयोगी है, इस विषय में हम विस्तार से बताना चाहेंगे।

हमारे सैक्टर के वृद्ध व्यक्ति भला इस दौड़ में पीछे क्यों रहते, उनके लिए तो यह एक स्वर्गीय उत्सव से कम नहीं है। कई वृद्ध जन जो रोजाना घूमने के फोबिया के शिकार हैं, वे इस अवसर का भरपूर आनंद उठाते हैं। जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता उसी तरह से कई वृद्ध जनों को खाट (चारपाई) पर आराम हजम नहीं होता। उनके लिए तो यह किसी आशिर्वाद से कम नहीं होता।

जब कभी कोई वृद्ध व्यक्ति चिकनी गीली सड़क पर फिसल कर गिर जाता है तो उसे मजबूरी में परिजनों द्वारा अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ता है, भले ही उसके परिजनों को अनेक समस्याओं और असुविधाओं का सामना क्यों न करना पड़े। लेकिन अस्पताल में उन्हें परिजनों की विशेष सेवा के साथ-साथ एसी की ठण्डी हवा में अस्पताल के नरम-नरम गददों पर आराम करने और उनका भरपूर आनंद लेने का अवसर तो मिल ही जाता है। कभी कभार जब किसी जवान नर्स के कोमल हाथों का स्पर्श मिल जाता है तो वे ऐसा अनुभव करते हैं जैसे स्वर्ग में 72 हूरों में से किसी ने अपने कोमल हाथों से छू लिया हो और इन्द्रदेव की तरह अपनी अफसराओं के साथ सुख भोग रहे हैं। वे इस भावना को क्यों न महसूस करें ।

ऐसी स्थिति में वे स्वंय को किसी वी आई पी से कम नहीं समझते, क्योंकि ऐसे में उनके आसपास परिजनों, दोस्तों, रिश्तेदारों और नर्सों का मेला सा लगा रहता है और मिलने वालों का तांता लगा रहता है। इस स्थिति में वे लोग भी अपना चेहरा दिखा कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए उसकी सहानुभूति पाने के लिए हर सम्भव प्रयास करते हैं, जो भूल कर भी उनका कभी हालचाल नहीं पूछते हैं और परिजनों द्वारा वे सब चीजें और सेवाएं तुरंत उपलब्ध कराई जाती हैं जिन को पाने के लिए सामान्य दिनों में में तरस जाते थे और बार-बार कहने पर भी उपलब्ध नहीं कराई जाती थी। ऐसा परम सुख इस उम्र में अस्पताल के अलावा और कहां मिल सकता है।
महोदय हमारे पास अभी कहने के लिए बहुत कुछ बाकी है , लेकिन समय के अभाव में में अपने कलम को यहीं विराम देते हैं ।
---- शेष अगले भाग में ----


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

कमलकांत घिरी said

सत्य वचन सर जी👌👏👏।।प्रणाम।।🙏🙏

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात भाई कमलकांत जी धन्यवाद सहित नमस्कार।

रीना कुमारी प्रजापत said

👌बिल्कुल सही, गब्बर और हरिया दोनों मेरे सामने बहुत गिड़गिड़ाए और बोले हमे माफ़ कर दो और जाने दो अब हम अच्छे इंसान बन जायेंगे और ये भी कहा कि हम वादा करते हैं अबसे आपके likhantu परिवार के किसी भी सदस्य को परेशान नहीं करेंगे। तो मैंने उन्हें छोड़ दिया अब किसी को उनसे डरने की कोई जरूरत नही है तो आप अपनी मोहब्बत की दुकान को बेझिझक चलाइए🙏 कोटि कोटि प्रणाम

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मै आपका हार्दिक आभार प्रकट करता हूं।

ताज मोहम्मद said

आपने अपनी कलम की जादूगरी से बिल्कुल सत्य को लिखा है। यही होता है वृद्ध जनों की जिंदगी में। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात ताज भाई । आपका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं प्रतिक्रिया के लिए।

Bhushan Saahu said

Bahut sundar vichar hain aapke. Bilkul yahi hota ha.

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात साहू जी आपका हार्दिक स्वागत एवं धन्यवाद।

Komal Raju said

Bilkul thik kha aapne.naman ha aapko🙏🙏🤝👏

Lekhram Yadav replied

सुस्वागतम कोमल राजू जी। आपको अच्छा लगा यह मेरा सौभाग्य है। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Pranam Sweekar Karein Yadav Sir, aapka parichay padhne ka mauka mila, tab jaakar samjh m aaya ki itna talent kaha se hai sir ke andar, Wastav m ek sundar charitra kartvyanishtha ke sath aap har ek kaam ko karte hain. Asha karta hu aap isi prakar apne har kaam ko aage aur unchaiyon tak le jayein, yeh rachna Kabile Tareef hai..👏👏 aapke bare m jankar respect m 10/1 chand aur lag gaya hai.

Lekhram Yadav replied

सर जी नमस्कार मैं तो एक आम आदमी हूं मेरे अन्दर ऐसा कुछ नहीं है, जिससे मुझ में चांद लगने वाली बात हो। हां इतना जरूर है कि मैं हर काम दिल लगा कर और दिल से करता हूं। हर काम में उतनी ही रूचि लेता हूं जितनी रूचि लेना आवश्यक है बाकी सब आप लोगों का आशीर्वाद है। आपको मेरा हार्दिक प्रणाम।

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