एक नज़र क्या देखा मुझे, कमाल कर दिया,
तबियत को उसने मेरी, मालामाल कर दिया,
जख्म जो हरे थे, न भरे थे अब तलक,
उसकी एक निगाह ने, हलाल कर दिया।
कहते है वो अभी भी, हमसे प्यार है उन्हें,
उनकी इसी बात ने, बवाल कर दिया,
जज्बात को सीने में मेरे, दफ़्न कर गए,
बदले में फिर हमने भी ये, सवाल कर दिया।
सवाल का जबाब तो, देने से वो रहे,
दिल को मेरे और, लहूलुहान कर दिया,
मिलता नहीं शुकुन, मेरे इस हाल से उन्हें,
शायद मुझे इसीलिए बदहाल कर दिया।
छोड़ा है मुझे जिंदो में, न मुर्दों में कहीं,
आशिकी में मेरा ऐसा, हाल कर दिया,
सवाल भी 'वही' हैं और, जबाब भी 'वही',
'जबाब' था जबाब को 'सवाल' कर दिया।
----अशोक कुमार पचौरी