खुद मंजिल तय करनी पड़ती है,
खुद रास्ता बनाना पड़ता है,
जब भवर में फंस जाती है नाव अपनी,
खुद के दम पर ही बाहर लाना पड़ता है,
दुनिया बैठी है हर वक्त दर्द देने को,
उस दर्द से उबर कर कामयाबी को पाना पड़ता है,
और अगर कभी गम के बादल छा गए मेरे दोस्त,
उन गामो से उबर कर जीवन को खुशहाल बनाना पड़ता है,
अंधकार में इक दीया जलाना पड़ता है,
.........इक दीया जलाना पड़ता है,
.........कवि राजू वर्मा
सर्वाधिकार अधीन है