तुम्हारी खूबियां ही हमारी खामियां हैं
फासले इतने हमारे दरमियां हैं
उस तरफ कालीन हैं बिछे ईरान के
इस तरफ काटों भरी पगडंडियां है
उनकी हंसी खुद क़त्ल का पैगाम है
अपनी हंसी पर सख्त पाबंदियां हैं
हो मुबारक आपको जो आका बने
आपके ही वास्ते तो गद्दियां हैं
झोपड़ी के सीस पर शहन शाहे महल
दास नीचे सेवकों की बस्तियां हैं
हर तरफ अब नफरतों का है नया जुनून
बस हमारी बस्ती में ही मरसिया हैं II