एक के बाद एक
हज़ारों खयालों का होता विच्छेद ।
पूर्ण कुछ भी नहीं यहां
सब कुछ अपूर्णता का है संदेश ।।
अपरिचित सारे यहां
वर्ना युगों के सफ़र में न होता विच्छेद।
अनुचित अपेक्षित और अभाव
केवल है जज़्बातों भरा बकवास ।।
बिन वांचा कुछ कहना संभव है...पर
समझ का हो जाता मतभेद ।
कौन भला अंत तक साथ जाता
जीवन ख़त्म और होता संपूर्ण विच्छेद ।।