यूँ ज़ुल्फ ना सँवारा कीजिये,
यूँ गुस्सा ना उतारा कीजिये !!
नाज़ुक है दिल मेरा..
रूक जाने का है डर,
यूँ आँचल न लहराया कीजिये !!
जब नहाके बालों को,
झटकारती हो तुम !!
मुम्बई की बारिश,
घर में लाती हो तुम !!
मुझ बेचारे को न सताया कीजिये !!
तुम हो रहे दिनों-दिन,
और भी जवाँ !!
क़ातिल है अंग-अंग,
क्या-क्या करूँ बयाँ !!
कुछ तो रहम जताया कीजिये !!
गर्मी जो बढ़ रही है,
ये तुम्हारा है असर !!
न है ग्लोबल कोई वार्मिंग,
बस तुम्हारा है कहर !!
यूँ मटक के न बल खाया कीजिये !!
----वेदव्यास मिश्र
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