उम्र चढ गई मगर जीभ का स्वाद न गया।
हँसी आती उनकी बातो पर संवाद न गया।।
आइना देखने से कुछ सुकून मिलता होगा।
दर्द-ए-उल्फत की कसक बाकी दर्द न गया।।
चेहरे की रौनक राज खोल देती है 'उपदेश'।
माँ का आशीर्वाद कायम आशीर्वाद न गया।।
मर्ज बढ जाता जब कभी उनके ख़याल में।
तब तसव्वुर बनाए रखने का स्वांग न गया।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद