कविता : गिलहरी....
गिलहरी कितनी
अच्छी प्यारी है
वो तो बहुत सुन्दर
और न्यारी है
कभी पेड़ पर कभी
डाल पर चढ़ती है
कभी खाती कभी
कुछ कुतरती है
बहुत चालाख
लगती है
इधर उधर
देखती है
दिनभर भागा
दौड़ा करती है
मजे से वो अपना
पेट भरती है
मझे से वो अपना
पेट भरती है.......
netra prasad gautam

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




