अभी सूरज डूबा नहीं है,
भले उसकी लालिमा नभ में,
अब कहीं दृष्टव्य नहीं,
छिपा बैठा होगा किसी ओट में,
उसके डूबने से पहले,
गोधूलि में लौटती गायों की,
पैरों की खटपटाहट,
घण्टियों की ध्वनियाँ,
रम्भाने की आवाजों,
बछडों की छटपटाहटें,
पनिहारिन के पायलों की,
रुनझुन मधुर ध्वनि से,
वातावरण गुंजयमान होगा,
तब कहीं क्षितिज में,
छुपा सूरज डूबेगा।
अभी सूरज डूबा नहीं है।
🖊️सुभाष कुमार यादव