शहर की बेटी आई है
तो घर में आग लगाई है
सारे बेटो की शादी जब
गांव की लड़की से कर दी
उन सब ने मेरे आंगन में
खुशियां ही खुशियां भर दी
सब मिल मोद मानते थे
घर संसार सजाते थे
तब छोटे बेटे की शादी
कुछ आगे बढ़ कर दी मैंने
समझ सका न उस पल को
सर आफत मढ ली मैने
आंगन बिखरा पड़ा है अब
हर रोज ही एक लड़ाई है
शहर की बहु ने एक आंगन में
आज चूल्हे दो जलाई है
नई बहु जो आई है
तो घर में आग लगाई है
आशीष पाठक "विलोम"