थर थर कापे धरती सारी आसमान डगमग डोले
जब मातृभूमि की रक्षा हेतु खून चौहानों का खोले
बिजली सी गिरती समशीरें रण भी डर से काप ऊठे
आखों में अंगार धधकते , ललकारों में बरसे शोले
शत्रु की छाती पर चढ़कर विजय ध्वजा फेराने वाले
भारत माता के चरणों में अपना शीश चढ़ाने वाले
सत सत नमन ऐसे वीरों को स्वर्णिम इतिहास बनाने वाले
साक्षी लोधी_