( कविता ) ( मां...).
मां आज कल
दुखी बड़ी हो
बीमार हो कर
बिस्तर पर पड़ी हो
मेरा कर्तव्य हैस्पिट
ले जाना था
वहां ले जा कर आप को
दवा खिलाना था
बहुत बदनाम
हो गया हूं
आज मैं बीबी का
गुलाम हो गया हूं
हे मेरी मां आप को
भूल गया हूं
मैं तो बीबी के साथ
घुल गया हूं
मगर मां आप के
पास नहीं आ रहा हूं
मैं मेरी बीबी के
पास जा रहा हूं
कभी दरवाजे के भीतर
कभी बाहर निकल रहा हूं
मैं तो बस बीबी के
आगे पीछे चल रहा हूं
कभी बीबी बच्चे के
साथ पार्क में घूम रहा हूं
आप को देखने की फुर्सत
नहीं मैं इन्ही के साथ झूम रहा हूं
मुझे याद है आप ने
जन्माया बढ़ाया
बहुत मेहनत कर
पढ़ाया और लिखाया
आज बीमार हो कर
न पी रही न खा रही हो
बिस्तर में से
उठ भी नहीं पा रही हो
ये हाल में भी आप के
पास नहीं आ रहा हूं
मां.. मैं मेरी बीबी के
पास जा रहा हूं
मां जब तक आप की
मौत नहीं आएगी
आप की वह छोटी
प्राण नहीं जाएगी
ये अपना मुंह
नहीं दिखाऊंगा
आप के पास शायद
नहीं आऊंगा
जिस दिन मां
मौत आएगी
उस दिन जब
आप की प्राण जाएगी
तब आप के
पास आऊंगा
कर कर नौ टंकी
दो बूंद आंसू बहाऊंगा
मैंने मां की सेवा बहुत
किया है बोलूंगा
सभी के आगे बड़ा
आदमी बनूंगा
मां अभी आप के
पास नहीं आ रहा हूं
मैं मेरी बीबी के
पास जा रहा हूं
आप के मृत्यु के बाद
अर्थी को श्मशान घाट ले जाऊंगा
वहां भी लोगों को दिखाने
के लिए रो रो कर आंसू बहाऊंगा
मैंने मां की सेवा बहुत
किया है बोलूंगा
सभी के आगे बड़ा
आदमी बनूंगा
उसके बाद अर्थी
पर दाग बत्ती जलाऊंगा
दूर जा कर थोड़ी
देर साइड पर बैठ जाऊंगा
मां मैं नालायक वैसे तो
आप का ही बेटा लगता हूं
जैसे तैसे यही कर सकूं
और कर ही क्या सकता हूं
मां जब तक बीमार हो
तब तक वहां नहीं आ रहा हूं
मां... मैं मेरी बीबी के
पास जा रहा हूं
मां... मैं मेरी बीबी के
पास जा रहा हूं.......