मछली कूद रही है देखो
चालीस बार तो कूदी होगी ,
कहना है इसको कुछ बातें
कुछ बातें तो सोची होगी ।
देखो मेढक के बच्चे भी ,
धीरे धीरे पास आ रहे
अपनी तुतलाती बोली में
ये भी प्यारा गीत गा रहे ।
मछली कूद रही है देखो ,
चालीस बार तो कूदी होगी ।
कवियित्री - डॉ अलका