मोहब्बत फरेब कहने वाले दिल जले।
चाहत अधूरी रही अधूरे ही गुल खिले।।
तडप के सिवाय बहुत गम है दामन में।
कुछ एक धुल लिये कुछ एक घुले मिले।।
सांसो को जरूरत महसूस पडी उनकी।
बाहें उठाई जब 'उपदेश' तब नही मिले।।
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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चाहत अधूरी रही अधूरे ही गुल खिले।।
तडप के सिवाय बहुत गम है दामन में।
कुछ एक धुल लिये कुछ एक घुले मिले।।
सांसो को जरूरत महसूस पडी उनकी।
बाहें उठाई जब 'उपदेश' तब नही मिले।।