समंदर हररोज गुमान में रहेता हे
उसके बाजूओं में सीर्फ जोर रहेता हे
उसे क्या पत्ता उसका अस्तीत्व
नदियां के मिलने से ही हरा रहेता हे
फिर भी आज तक वो समजा ही नहीं
धरती के कारन ही वो भरा रहेता हे
वो ना समज. हे कभी समजेगा ही नहीं
धरती मां का आशीर्वाद भरपूर रहता हे
के बी सोपारीवाला

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




