ऐ मां, मेरे वतन से मुझको, प्यार है
जिसके लिए ये जानो - तन
मिटने को तैयार है
धरती जहां का , हरियाली का
चादर ओढ़े इठलाती है
चंचल नदियां,कल कल करती
बहती हुई बलखाती है
सीना तान खड़े हो जहां का
ऊंची ऊंची शिखाएं
स्वागत करती शीतल हवाएं
बहती दिशाएं दिशाएं
पा लेना एक जनम यहां
कितना ही दुश्वार है.....
चारों दिशा में विश्व अमन का
डंका बजाना चाहता है
दुश्मन की आतंकी फतह का
लंका जलाना चाहता है
लहराती है लहरें जहां पर
आशा और विश्वास की
मुस्काती है किरणें जहां पर
प्रगति का विकास की
सारे जगत में हो भाई चारा
जिसका हमें इंतजार है......
उत्तर की हवाओं से और
दक्षिण की धाराओं से
पूरब की पुरवाई और
पश्चिम की फिजाओं से
गंगाजल की पावन लहरें
यमुना की किनारों से
चट्टानों की छातियों से
फूलों की बहारों से
हिमालय की वादियों से
निकला यही पुकार है.....
ऐ मां मेरे वतन से मुझको
प्यार है, प्यार है.......
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




