लौट आओ अभी
पल पल तुझको याद किया
मैंने ना सुबह शाम किया
हर पल तुझको तकतीं रहीं
सांझ कई तरह ढलती रहीं
बीता पतझड़ सावन गया
भादों की अधियारी रात रही
पल-पल जो तूने बात कहीं
हर पल मुझको याद रही
वादा किया था तुमने कभी
लौट आऊंगा जल्द अभी
तबके गये तुम कोई खबर नहीं
ढलती उमरिया अब बीत रहीं
सही नहीं जातीं पीर
जो रोम रोम मेरे आ भरी
लगता है इस जीवन की गति नहीं
लौट आओ तुम अभी
वरना नहीं पाओगे मुझे कभी
✍️ अर्पिता पांडेय

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




