उर्दू भाषा में अदब आदाब है लेकिन उर्दूदान बे अदब हो गए
रदीफ क़ाफिया में उलझा कर मुसलमानों को ख़ुद को हीरो बन गए
इस राज़ को डिग्री वाले नहीं दरवेश या हिकमती लोग समझते हैं
अक्ल वो हिक्मत डिग्री नहीं देता है अच्छे आचरण से मिलती है
हमने महसूस किया है स्टाइल से बैठने वाले ख़ुदको फिलोस्फर समझने लगे हैं
बता दें डिग्री के हवाले से अज़ीम बनने वाले तकब्बुर के सिवा कुछ नहीं रखते
जो इन्सान बनकर इंसानियत ज़िंदा रखा ये असल डिग्री वाले होते हैं
जिसे दे दे डिग्री खुदा इससे अजीम डिग्री कोई होता ही नहीं है
डिग्री कॉलेज, यूनिवर्सिटी देती है इसका जन्म दाता इंसान है खुदा नहीं
खुदा इंसान को जन्म दिया बे शुमार इल्म वो अक्ल दिया दिमाग़ को बताता है
गर इल्म वो धन का द्रुपयोग हुआ तो ऐसा समझो कि विनाश हो जाता है
जिस ने समझा खुदा की खुदाई किया ज़मीन पर इंसाफ़ वे लौह अक्ल वो कलम हो गए
वसी अहमद क़ादरी ! वसी अहमद अंसारी
दरवेश ! कवि ! लेखक ! मुफक्कीर ! व्यूवर