रूप रुतबा नाम दौलत हर किसी की दिली चाहत
जान तक क़ुरबान अपनी ये लोग करते हैं बगावत
रूप का जलवा सहना सबके वश में कहाँ है भला
इसके लिए तो हो जाती है सगे भाइयों में अदावत
राजा हो या रंक इंसान जीव जंतु सब परिंदे चरिंदे
रुतबा पाने को दिखाते जिस्म भी करके सजावट
नाम करना दास आजकल आसान थोड़ा है हुआ
रील उलटी सी बनाकर बस नेट पे डालो बिरासत
आज दौलत का खजाना हर तरफ मौजूद इतना
पासवर्ड खुद चुराओ या करो डिजिटल हिरासत II