ठिठुरती सर्दी मे मल मल कर नहाता कौन।
कुम्भ में भेड़ चाल चलते सब मानता कौन।।
बदन गीला करके दिखाएगा फिर सुनाएगा।
उथले पानी में पाप न धुलते जानता कौन।।
जिसमें नहाया उस पानी को घर भर लाया।
आस्था के नाम पर उसे पवित्र बताता कौन।।
इंसानी तरीका पाखण्ड आधारित 'उपदेश'।
खराब सोच पाल कर रखता बदलता कौन।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद