तेरी गली का अब...,
बाशिंदा नहीं मैं !!
अब तू मुझे चाहे या न चाहे..,
इस बात से कोई फ़र्क ही नहीं !!
तेरी गलियाँ तुझे मुबारक,
अब तेरे हालात से मेरा कोई
ताल्लुक ही नहीं !!
आया था मेहमाँ बनकर,
जा रहा हूँ आजाद होकर !!
मान या न मान ऐ संगदिल,
अब तेरा मुझसे कोई
इत्तफाक ही नहीं !!
सर्वाधिकार अधीन है