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कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

दिल ने क़रार पाया - सुप्रिया साहू

दिल ने क़रार पाया

कब से बेकरार बैठे थे तुम्हें देखने को,
जब देखा तुमको दिल ने करार पाया..।।

आस और विश्वास लेके इंतजार किए,
आंखे बंद किए तुम्हें अपने सामने पाया..।।

हम तो गुस्से भी हुए तुमसे बार - बार,
हर बार मनाने का हक़ है तुमसे पाया..।।

कुछ कहे भी तो बस इतना ही तुमसे,
जब भी देखा दिल से अपने पास पाया..।।

- सुप्रिया साहू




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

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Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत सुन्दर ग़ज़ल सुप्रिया जी सादर प्रणाम 🙏🙏

Supriya sahu replied

तहेदिल से आपको शुक्रिया आदरणीय सर जी 😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Shiv Charan Dass said

बहुत खूब अभिव्यक्ति

Supriya sahu replied

धन्यवाद आदरणीय दास जी जी 😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

वन्दना सूद said

सुंदर रचना 👌👌👏👏

Supriya sahu replied

शुक्रिया मैम 😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

Vadigi.aruna said

बहुत सुंदर रचना

Supriya sahu replied

बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद मैम 😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत ही उम्दा रचना, सुंदर अभिव्यक्ति, इस अद्भुत रचना के लिए सुप्रिया साहू जी को मेरा सादर सम्मान। सादर प्रणाम।

Supriya sahu replied

बहुत बहुत धन्यवाद महोदय जी😊🥰, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

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