लिख्खूं क्या नाम तेरा
तू तो पहले से हीं बदनाम हैं
फिरभी दिल नहीं मानता
लेता तेरा हीं नाम है।
महफ़िल में आया
तेरा दीवाना
फिरभी खाली खाली
सा ज़ाम है..
लिख्खूं क्या नाम तेरा
तू तो पहले से हीं बदनाम है..
जीवन के तेज़ धारों पर
भंवर हो या किनारों पर
तू मेरे कण कण में विद्यमान है
फिरभी दिल मेरा ये
तेरे लिए हीं परेशान है
लिख्खूं क्या नाम तेरा
तू तो पहले से हीं बदनाम है..
जो बीत गया वो अतीत तेरा था
उससे मुझे क्या सरोकार है
मैं आदमी हूं वर्तमान का
मुझे भूतकाल से क्या काम है
लिख्खूं क्या नाम तेरा
तू तो पहले से हीं बदनाम है..
वक्त बीतता गया
दिल टूटता गया
मिट रही हर मिथ्या
सभी अहंकार हैं
अब चाह नहीं है
राह नहीं है
लगता सब बेकार है..
लिख्खूं क्या नाम तेरा
तू तो पहले से हीं बदनाम है..
तू तो पहले से हीं बदनाम है....

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




