वो मेरी साँस में जैसे कोई साज़ सा बसता है,
नज़र से दूर होकर भी मेरी आँखों में रहता है।
उसी की धड़कनों से ही मेरी धड़कन निकलती है,
वो मेरी रूह के गहरों में एक दरिया सा बहता है।
कभी लगती है तन्हाई भी अब उसकी साज़ बनकर,
हर ख़ामोशी के अंदर वही सुरों-सा चलता है।
मैं जब भी टूट कर बिखरूँ, वो आवाज़ें सजाता है,
उसी की याद का मोती मेरे अश्कों में पलता है।
वो खुशबू-सा हवा में है, मेरे अंदर ही रहता है,
नज़र से ओझल होकर भी वो मुझमें ही मिलता है।
न मेरा इश्क़ अधूरा है, न उसका फ़र्ज़ गलता है,
मैं जिस मंज़िल से डरता हूँ, वहीं हर रोज़ मिलता है।
‘राशा’ तू कैसे मानेगा वो तुझसे दूर हो पाए,
वो तेरे हर तसव्वुर में तेरी साँसों में रहता है।
- इक़बाल सिंह ”राशा“
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




