रात की ख़ामोशियों में दिल बाते करना चाहे।
थोड़े सुकून के लिए थोड़ा सा प्यार करना चाहे।।
चाँद की रोशनी में छिपे होंगे हज़ारों एहसास।
नींद आने के बाद सपने में कोई पास आना चाहे।।
जिनकी उधेड़ बुन में बुने जाते हज़ारों किस्से।
झील में नक्शा बनाता कोई सवाल सुनाना चाहे।।
सवालों का टांका लगाकर भींगी पलकों वाली।
डोली में बैठाकर कहार जाने कहाँ निकलना चाहे।।
कहीं भी रहूँ इंतजार की गाँठ खोलनी ही पड़ेगी।
बरसों सालो की गाँठ 'उपदेश' ढीली करना चाहे।।
ठहरी झील खुद में समाहित कर दूर ले जा रही।
रेगिस्तान में हिज्र की मयस्सर को सुलझाना चाहे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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