आए थे बसने दिल में
दिल को हीं उजाड़ चल दिए
मैं हसरत भरीं नजरों से देखता
वो मुस्कुरा के दिल तोड़ दिए।
थीं मंजिलें गर्दिशों में
सब साथ मिलकर लड़ना था
काल के गाल में समाई
किस्मत अपनी खोजना था
हम थामें मशालें हिम्मत के
हर तुफां से लड़ लिए
वो छोड़ के दामन
मेरा मनभावन पावन साथ मेरा
रक़ीबों के दामन थाम लिए
आए थे बसने दिल में
दिल को हीं उजाड़ चल दिए
फ़क़त जिंदगी थी या था
रहमत खुदा का
कुछ दूर तलक तो साथ चले
फिर क्या बात हुई हम समझ ना सके
वो बिन समझाए सब समझा गए
हम तारों को गिनते रह गए उनकी यादों मे
वो किसी और को जीवन का तारा
अपने चुन लिए..
रख कर फूल चमन के सारे
कांटों को हमको भेंट किए
अब बचा क्या कुछ कहने को
वो आए दिल मेें समाए और
दिल को हीं उजाड़ चल दिए
आए थे बसने दिल में..
दिल को हीं उजाड़ चल दिए..
दिल को हीं उजाड़ चल दिए..