बिन रोजगार मानव अकुलाता है
बेरोज़गार बन जाता है
रोजगार और रोजी की खातिर शैशवास्था से युवावस्था तक नैनों
में उत्कृष्ट जीवन का स्वप्न संजोए
कठोर परिश्रम कर शिक्षा दीक्षा पाता है
उम्र से दूना किताबो का बोझ उससे चौगुना माता-पिता की आशाओं का बोझ लिए दिन दिन
बढता जाता है
बिन रोजगार -----
कालेज में जब होता छात्र सोचता
उत्कृष्ट जीवन और रोजगार कर रहा होगा उसका इंतजार
कालेज से बाहर आते ही होता
उस पर वरजपात स्वप्न हो जाता उसका बेदम
उस दिन वह समझ पाता है बेरोज़गारो की सेना का
है वह अदना सिपाही
उसकी शिक्षा का नहीं कोई मोल
जब तक ना पड़ जाए उसमें रिश्वत
और सिफारिश की खाद
रोजगार की तलाश बना देती उसे
जिंदा लाश आशा और निराशा के
पाटों में पिसती उसके सपनों की राख
सरकार और सरकारी नीतियां उसे देती और तोड़ मरोड़
योग्यता का होता अग्नि परीक्षण
आने वालीं हर सरकार वोट की
खातिर करती उसका इस्तेमाल
रोजगार के नाम पर कर देती है
बेरोज़गारी भत्ता उसके नाम
जैसे पढ़ लिख किया उसने कोई
अपराध दण्ड स्वरूप उसे मिलेगा
भत्ता पारितोषिक इनाम
बेटा पढ़ लिख कर बने अच्छा इन्सान
करेगा रोशन उनका नाम
इस आशा में मात पिता कर देते
अपना जीवन बलिदान पर
बेरोज़गारी उनके लाल की उनका बुढ़ापा भी न पातीं संवार
इस बेरोज़गारी का दोषी कौन आज
शिक्षा व्यवस्था या हमारा समाज
नहीं मांगते यह भत्ता इन्हें दो योग्य
रोजगार ताकि आने वाली पीढ़ी
ना करें तुमसे सवाल
अंत बेरोज़गारी सुरसा का करने
कब आयेगा हनुमान

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




