प्यार से जो है आशना ही नहीं
ज़ीस्त का उसको तजरुबा ही नहीं
ख़्वाब से जुड़ चुका है इस दरजा
दिल हक़ीक़त को मानता ही नहीं
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
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डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद