कोई सुनता ही नही इस शोर में दिल की आवाज।
धीरे-धीरे डूबने की कगार पर पहुँच रहा जहाज।।
साजो के संगीत की नही चाहे पायल की झंकार।
लम्बी लम्बी काली रातो में छुपा रोशनी का राज।।
वो आँखे कब आयेंगी जिससे मन होता गुलजार।
तबियत भी खुश होती 'उपदेश' ऐसी वो हमराज।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद