पूर्वी हवा के कमाल से मस्ती भर गई।
शाखे भी झूम उठी बदरिया उघर गई।।
हसरतों का साया राह भटकना चाहे।
जुबाँ कुछ कहते-कहते राह उतर गई।।
इस तरह की रौनके कभी-कभी दिखे।
कुछ देर रुके 'उपदेश' धूप पसर गई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.
New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|
पूर्वी हवा के कमाल से मस्ती भर गई।
शाखे भी झूम उठी बदरिया उघर गई।।
हसरतों का साया राह भटकना चाहे।
जुबाँ कुछ कहते-कहते राह उतर गई।।
इस तरह की रौनके कभी-कभी दिखे।
कुछ देर रुके 'उपदेश' धूप पसर गई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद