मरी कुछ चिड़िया अब सडक पर मिलती है
पहचान तरकी की सड़क पर मिलती है
कटी गर्दन गिलहरी की भी मिलती है
जो भी हो सज़ा इसकी कहाँ मिलती है
कुछ अब मछलियाँ तालाब में मिलती है
सीधी नहीं उलटी तैरती मिलती है
हवा पानी में यूँ गन्दगी मिलती है
कपटी दिलों से उड़ती हुई मिलती है
पहाड़ियों के वक्ष पर जंजीरें मिलती है
दरारे धरा के दिल में भी मिलती है
दिलों में नफरतों की गांठें मिलती है
पैसे की दुनिया पैसे में मिलती है
चिड़ियों को अदालतें कम ही मिलती है
टहनियां घोंसलों को कहाँ मिलती है
आदमी की बस्तियां हर जगह मिलती है
चिड़ियाँ अब बस्तियों में कहा मिलती है