आज वो तेरे लिए रो रही है
कल तू उसके लिए रोयेगा।
उसके इन दुःखों का अस्बाब तू है,
कल तेरी इसी करनी पर मलाल तू करेगा।
नादान ना कर ऐसा गुनाह कि
उसके अश्क़ सैलाब बन जाए
और उनमें तू डूब जाए।
कुसूर क्या था उसका कि तूने उसे गुमनाम बना दिया,
अफ़सोस एक दिन तू भी करेगा
खुद अपने गुनाह का इज़हार करेगा।
अमानत थी वो तेरी तूने अपनी अमानत को दगा दिया,
ऐ नासमझ तूने ये क्या कर दिया।
"रीना कुमारी प्रजापत"