दर्द मिलने पर भी
हॅंसती हूॅं मैं,
हँसी नहीं आती है
फिर भी ज़ोर-ज़ोर से
हॅंसती हूॅं मैं।
क्योंकि ग़र हॅंसूगी नहीं,
तो फिर रो दूॅंगी मैं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️
यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
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The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







