जब टूटे मन की कोई न सुने,
आँखें बोलें, पर शब्द न बुनें,
तब एक स्पर्श, एक मौन दुआ,
बन जाए सहारा — यही है सहानुभूति।
ना ज़रूरी है बातों का कारवाँ,
कभी चुप्पी में भी मिल जाए आसरा,
दर्द किसी का समझना भर ही,
किसी को जीने की वजह दे सकता है।
ये न हो कि देखो और गुज़र जाओ,
थोड़ी देर उसकी जगह ठहर जाओ,
समझो उसकी आँखों का बोझ —
हर मुस्कान के पीछे का सोच।
सहानुभूति कोई दान नहीं,
ये तो दिल का सम्मान है,
दूसरे की पीड़ा में भागी बनना,
इंसानियत का सबसे सुंदर प्रमाण है।
चलो कुछ वक्त यूँ ही बिता लें,
जहाँ हम सुनें, समझें और अपना लें,
दुनिया को थोड़ा कोमल बनाएँ,
सहानुभूति से रिश्तों को सजाएँ।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




