उजाला होगा तो झाँक ने लगेगा झिर्रियों से अन्दर।
आशा दिलाएगा तब कहीं सुकून आएगा मेरे अन्दर।।
जो ढल गया था साँझ में चमकने आ गया सहर पर।
उसी ने भरोसा जगाया खारा पानी रुक गया अन्दर।।
इतना तय है कि अन्दर रहने में भलाई मानी मन ने।
अरमानों का गला घोट दिया बनने न दिया समुन्दर।।
कोई नही जान पायेगा मेरे दर्द का अंजाम 'उपदेश'।
अब हँस हँस के दिखा रही दर्द को छुपा रही अन्दर।।
चेहरे पर मुस्कान जरूर मगर रूह में तूफान रहेगा।
कुछ भी न रहा पास फिर भी सम्भाले ईमान अन्दर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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