सूरदास जयंती
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
अंधेरी आँखों में भी ज्योति का वास था,
कृष्ण भक्ति का अद्भुत प्रकाश था।
सूरदास, वो दिव्य कवि महान,
जिसकी वाणी में रस का निधान था।
यमुना के तट पर, ब्रज की गलियों में,
कृष्ण की लीला रची थी साँसों में।
दृष्टि न थी पर हृदय में दर्शन,
प्रेम की गहराई का अद्भुत अर्पण।
पदों में झलकता वात्सल्य का सागर,
गोपियों की पीड़ा, कृष्ण का नागर।
अनुपम छंद, मधुरता की धारा,
भक्ति का ऐसा अनुपम नज़ारा।
सूरदास जयंती, स्मरण का दिन है,
उस दिव्य आत्मा का वंदन है।
जिसने अँधेरे में भी देखा उजाला,
कृष्ण प्रेम का जिसने दीप जला डाला।