एक चुहा था मोटा ताजा,
चुहेगंज का था वह राजा।
नाम था उसका चिंटूचोक,
लेकिन थोड़ा था डरपोक। ।
चुहेगंज में रोज सवेरे,
बिल्ली मौसी आती थी।
चुपके से वह नन्हें-नन्हें,
कई चूहों को खाती थी।।
मंत्री मंटी बोला राजा साहब,
अब कुछ करो विचार।
प्रजा दुखी है चुहेगंज में,
केवल चुहे बचे हैं चार।।
राजा नें तब सभा बुलाई,
चुहेगंज की प्रजा भी आई।
दो घंटे तक हुआ विचार,
लेकिन कुछ निकला न सार।।
तब एकदम से बोला मंटी,
राजन एक मंगाओ घण्टी।
बचने का है यही उपाय,
बिल्ली के गले में बांधी जाय।।
बिल्ली कहीं भी डोलेगी,
घण्टी टिन-टिन बोलेगी।
सुनकर हम छिप जाएंगे,
यूं हम सब बच पाएंगे। ।
सभी चुहे तब बोले साथ,
वाह!मंटी ये हुई न बात।
सब चूहों ने शोर मचाया,
चिंटूचोक को गुस्सा आया।।
ये घण्टी बांधेगा कौन?
ये सुनकर सब हो गए मौन।
तभी वहां सन्नाटा छाया,
बच्चों तुम्हें मजा न आया।।
😃😃😃
शिखा प्रजापति
कानपुर दे.