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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

छुअन में जलन

चाॅंदनी में आज इतनी तपन क्यों है,
इसकी छुअन में आज जलन क्यों है?

आग की लपटों सी गर्माहट है,
आज लगी इसमें इतनी अगन क्यों है?

महबूब के साथ पर सुकून देती थी,
आज विरह में उसी चाॅंदनी में चुभन क्यों है?

🖊️🖊️ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

+

श्रेयसी said

वाह बहुत ख़ूब रीना जी 👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks didu raani

सुभाष कुमार यादव said

बेहतरीन।👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका 🙏

Supriya sahu said

वाह लाज़वाब रचना दीदी👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks dear 🙏

Updesh Kumar Shakyawar said

वाह लाजवाब रचना🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद जी 🙏

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर रचना 👏👏

रीना कुमारी प्रजापत replied

आभार आपका 🙏

Shiv Charan Dass said

वाह वाह. .. चाँदनी में अगन

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया जी 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह... क्या कहने! चाँदनी की मासूमियत में विरह की तपिश पिघलती देखी है पहली बार। 🌕💔🔥 हर पंक्ति जैसे किसी टूटे दिल की धीमी सिसकी हो — बहुत प्रभावशाली! 👌👌, आपको सादर प्रणाम 🙏🙏।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thank you so much bhaiyya🙏apko bhi sadar pranaam

पवन कुमार "क्षितिज" said

बेहतरीन 👌👌

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया जी 🙏

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