चालीस हो या हो चौवन,
यूँ ही मिलते-मिलाते रहिये !!
जब तक है दिल सीने मे,
यूँ ही हँसते-हँसाते रहिये !!
यूँ तो छत्तीस के बूढ़े भी,
मिल जायेंगे संसार में !!
नब्बे के जवाँ भी मिलेंगे,
बस दिल ये लगाते रहिये !!
जब रूह का प्यार है सच्चा,
तो क्या करना है तन का !!
बचपन हो या हो बुढ़ापा,
बस दिल को जवान रखिये !!
आँखों को दें आज़ादी,
अब क्या होनी बरबादी !!
ना शक की गुंजाइश अब,
जो आये मन की करिये !!
है नब्ज़ चलेगी जब तक,
आशिक़ी रहेगी सलामत !!
अब खुद भी खुशदिल रहिये,
और सबको भी खुश रखिये !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है