ख़ुशनसीबी है हमारी की हम उनकी दुआओं में हैं
ऐसा लगता है पास न हो कर भी उनकी निगाहों में हैं
कौन कहता है अपने ही सिर्फ दुआओं में याद करते हैं
कुछ अनजाने फ़िक्रमंद भी रहते इन्हीं हवाओं में है
जब भी बोलो अच्छा-अच्छा शुभ-शुभ बोलो
कहना बुजुर्गों का रहती हमारी गूंँज फ़िज़ाओं में है
ठान लोगे मन में तो असंभव भी संभव हो जाएगा
शिखर पर पहुंचोगे एक दिन माना बेशुमार काटें अभी राहों में है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




