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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चुरा लेते हैं अक्सर

कापीराइट गजल


चुरा लेते हैं अक्सर, वो नींद हमारी
उड़ा देते हैं हंस कर वो नींद हमारी

तुम्हारी इस अदा पर फिदा है जमाना
बङी दिलकश है जाना हंसी ये तुम्हारी

करती हैं ये घायल मुझ को बार-बार
अभी तो जिन्दा है ये उम्मीद हमारी

ख्वाब आंखों में लिए फिरते हैं हम
बता रही है मुझे ये खामोशी तुम्हारी

इस कदर मुझे क्यूं करते हो परेशां
डरा रही है मुझे ख्वाहिश ये तुम्हारी

कई बार कहा ऐसे न सताओ यादव
तुम्हारी जां में बस्ती है जान हमारी

-     लेखराम यादव
… मौलिक  रचना …


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

श्रेयसी said

वाह वाह क्या रचना है। भगवान करे ऐसी मनोस्थिति बनी रही । क्योंकि मैं भी लिखना चाहती हूं कुछ ऐसा हीं और लिखा जाता है कुछ और 😃😃 बहुत प्यारी रचना । सुप्रभात सादर प्रणाम लेखराम भैया 🙏🙏

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद बहना, जरूर बनाएं ऐसी मानसिक स्थिति और जरूर लिखिए ऐसी रचना, आपको सादर नमस्कार

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! क्या बात है लाजवाब बेमिसाल 👌👌🙏प्रणाम

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद मेरी प्यारी बहना आपको सादर नमस्कार

Supriya sahu said

वाह वाह...! बहुत बढ़िया👌👌, मगर किसी को चुराने न दीजिए😊, आपको सादर प्रणाम सर जी🙏🙏।

Lekhram Yadav replied

आदरणीय सुप्रिया जी, आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद लेकिन जो नींद चुराने का हुनर रखते हैं वो नींद तो चुराएंगे ही, आपको सादर नमस्कार

वन्दना सूद said

वाह वाह sir 👌👌😊चुरा लेते हैं अक्सर 🙌🏻🙌🏻तारीफ उसकी करें जिसने आपको यह हुनर दिया या आपको जो अपने शब्दों से हमें उलझा रहे हैं 👏👏😊🙏

Lekhram Yadav replied

आदरणीय वन्दना जी, ऐसी खूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं सादर नमस्कार

सुभाष कुमार यादव said

बहुत सुंदर रचना। अपनी ग़ज़लों से हमें ऐसे ही हँसाते रहिए।👌👌

Lekhram Yadav replied

आपका बहुत-बहुत हार्दिक धन्यवाद एवं स्वागत सुभाष जी, आपको सादर नमस्कार

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