तुम आफ़ताब कहो या महताब बन जाएँ
बस पास आओ ज़रा, हम भी ख़्वाब बन जाएँ
जो प्याली तुमने रखी है दिल के क़रीब
भर दो मोहब्बत से, वो भी शराब बन जाए
हमने भी नींदों को अब दरकिनार किया
कह दो तो रातें भी गुलज़ार बन जाएँ
तेरी नज़र का असर यूँ ही नहीं चलता
हम झील जैसे ठहरे, बहते आब बन जाएँ
चर्चा अगर है हुस्न पर मेरे सनम
तो क्या हुआ, वफ़ा भी नायाब बन जाए
तुम साज़ बनो तो मैं भी सुर बन के मिलूँ
दो दिल धड़कें, तो एक ही राग बन जाएँ


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







