इश्क़ अगर सच्चा है तेरा,
ताज नहीं दरकार तुझे !!
दिल की मिट्टी पर रख देना,
थोड़ी वफा उसके नाम पर !!
साज नहीं..आवाज़ नहीं,
बस मौन की ज़ुबाँ बन जा !!
महफ़िल भी तन्हा हो जाए,
बैठे जो तू ख्याल पर !!
नज़रें झुकीं हों..दिल रोया हो,
फिर भी हो मुस्कान सी !!
ये इश्क़ वही होता है जो,
रो भी दे इक ईनाम पर !!
मज़हब ना हो..मज़लिस ना हो,
ना हो कोई पहचान भी !!
इश्क़ वो रस्ता है जो खुद,
चलता है बस ईमान पर !!
मन्दिर, मस्जिद, काबा, चर्च ,
सब हैं उसी के वास्ते !!
जिसने रब को पा लिया,
बस इक दिल के नाम पर !!
इश्क़ जो दिल से उठे अगर,
वो सूली पर भी हँसता है !!
रांझा की तरह बन जाये वो,
खो जाता हीर के नाम पर।
वेदव्यास मिश्र की आशिक़ाना कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




