ये चाॅंद आज बड़ी जल्दी निकल आया
ये चाॅंद आज बड़ी जल्दी निकल आया,
मुझे देखने का ज़ुनून इसके सिर पर छाया।
अपने संग बादलों को लाया,
आज छुपकर मुझे देखने को आया।
ये चाॅंद भी आज मुझे देखकर शरमा रहा
ये चाॅंद भी आज मुझे देखकर शरमा रहा,
बादलों के संग मेरे साथ लुका छिपी खेल रहा ।
अपने संग बहारें लाया,
मेरे गमों को दूर करने आया।
ये चाॅंद आज चाॅंदनी को मेरी दास्तां सुना रहा
ये चाॅंद आज चाॅंदनी को मेरी दास्तां सुना रहा,
मेरी तारीफ़ों के पुल बांध चाॅंदनी को जला रहा।
ये चाॅंद आज इतना क्यों मुस्कुरा रहा,
मुझे देखकर इतना क्यों इतरा रहा।
~रीना कुमारी प्रजापत