रूह को भरसक जगाया उम्र भर
सच यहाँ सुनना न आया उम्र भर
कर्ज था जो नेह का कब मूल था
सूद बस दिल ने चुकाया उम्र भर
प्यार की हमने लिखी जो दास्तां
कोई सुनने घरना आया उम्र भर
दाद में हमको मिली खामोशियाँ
क्यूँ हमें लिखना ना आया उम्र भर
हम तो बस यूँ सादगी के दास हैं
सांस तक भरना ना आया उम्रभर
शिव चरण दास