दुनिया देख रही है,
मगर आंखें मूंदे बैठी है।
सच छिपाने में,
जुबान बांधे बैठी है।
मीडिया चुप है,
आवाज नहीं निकलती।
सत्ता के आगे,
कैसे बोलती?
सच की तलाश में,
हम भटक रहे हैं।
झूठ के जाल में,
फंस रहे हैं।
सवालों के जवाब ऐ!"विख्यात"
नहीं मिलते।
क्यों सच को,
दबाया जाता है?