पेड़ के साये में सुकून आँचल का।
शान्त होने से पहले मन बादल का।।
बरसा नहीं अतीत में दिन चढ़ गया।
काली घनी जुल्फों की मिशाल का।।
मोहब्बत की आड़ में जिन्दा हैं हम।
याद में गुजारा वक्त गये साल का।।
ढीठ हो गई बुद्धि 'उपदेश' नाम की।
घना प्यार समा गया उस पागल का।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद