कर्मों के खेल
कर्मों का खेल क्या है ?
सबकी समझ से बाहर है
एक कर्म कर रहा है
एक कर्म को भोग रहा है
अच्छा या फिर बुरा हर कोई अपना अपना भुगतान कर रहा है
सही ग़लत,धर्म अधर्म ,ज्ञान अज्ञान में उलझी सी हमारी सोच
कोई बच्चों के साथ रह कर भी उनके सुख से वंचित हैं
किसी के बच्चे दूर रह कर भी उन्हें सुख पहुँचा रहे हैं
कोई ताउम्र बिना ज़िम्मेदारी निभाए भी सेवा पा रहा है
कोई अपनी सभी ज़िम्मेदारियों को निभा कर भी दुख झेल रहा है
कोई मेहनत कर के ही खा पा रहा है
कोई घर बैठे खा रहा है
किसी को धन संभालने की चिन्ता है
किसी को धन कैसे कमाएँ यह चिन्ता है
कुछ तो सच्चाई होगी जन्म मरण के आवागमन में
नहीं तो अच्छे के साथ अच्छा और बुरे के साथ बुरा ही होता ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है