स्वार्थी इस दुनिया में, अपने ही भाग खड़े हुए।
जो साथ थे तेरे, एक-एक करके विदा हुए।
तेरी अकाल मृत्यु पर, एक भी स्वर न फूटा।
भीड़ थी बहुत, मगर एक भी न जूझा।
माना कि जिंदगी का सफर, इतना आसान तो न था।
पर तू भी क्या, पल दो पल का मेहमान तो न था।
भ्रष्टाचारियों ने मिलकर, तेरा गला घोंट दिया।
तानाशाही के चलते, बकरा बलि का तुझे बना दिया।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




